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Wednesday, October 31, 2012

प्रेम "अजब-गजब"


प्रेम किया,
अजब किया,
सड़कों, गलियों, चौराहों...
हाथ पकडे-चूमते...
इश्क का इज़हार किया.
स्पर्श किया, संसर्ग किया,
गर्भ दिया, गर्भपात किया.
रोये-धोये, चीखे-चिल्लाये,
फिर शुरू वही कारोबार किया,
खुद को, शर्मसार- लाचार किया.
झूठा व्यवहार किया,
अपना जिया, अपना किया,
मतलब का रोज़गार किया.
प्रेम किया
गजब किया.

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