इस कठिन समय में,
कुछ भी शाश्वत-सनातन नहीं
जैसे मेरा तुम्हारा प्रेम,
दुआओं में उठे हाथ,
माँ का कवचमयी आँचल,
आँखों में ठहरा दुःख,
आशा के टिमटिमाते जुगनू,
जेबों से भागती खुशियाँ,
लबों पर जमा उथला नमक,
सीलन लगे रिश्ते,
पूँजी के भव्य महल,
गुदाज-गुदाज खुशियाँ,
नथुने फैलाई समृद्धि,
आँखें सकुचाई गरीबी,
कुछ भी शाश्वत-सनातन नहीं,
हाँ, इस कठिन समय में,
कुछ भी हो सकता है,
उलट-पलट, अदला-बदली, हेरा-फेरी,
और आप सदमें का शिकार हो,
निभा सकते हैं,
सुख या दुःख का किरदार.
कुछ भी शाश्वत-सनातन नहीं
जैसे मेरा तुम्हारा प्रेम,
दुआओं में उठे हाथ,
माँ का कवचमयी आँचल,
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आशा के टिमटिमाते जुगनू,
जेबों से भागती खुशियाँ,
लबों पर जमा उथला नमक,
सीलन लगे रिश्ते,
पूँजी के भव्य महल,
गुदाज-गुदाज खुशियाँ,
नथुने फैलाई समृद्धि,
आँखें सकुचाई गरीबी,
कुछ भी शाश्वत-सनातन नहीं,
हाँ, इस कठिन समय में,
कुछ भी हो सकता है,
उलट-पलट, अदला-बदली, हेरा-फेरी,
और आप सदमें का शिकार हो,
निभा सकते हैं,
सुख या दुःख का किरदार.
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